परिचय:
भारत के इतिहास में विजयनगर साम्राज्य (1336 ई. – 1646 ई.) एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह साम्राज्य न केवल सैन्य शक्ति बल्कि कला, साहित्य, धर्म और व्यापार के क्षेत्र में भी अग्रणी था। यह साम्राज्य तुंगभद्रा नदी के किनारे स्थित था और इसकी राजधानी थी – हम्पी, जो आज एक विश्व धरोहर स्थल है।

स्थापना और संस्थापक:
- विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर और बुक्का ने 1336 ई. में की थी।
- इसका उद्देश्य दक्षिण भारत को मुस्लिम आक्रमणों से बचाना और हिंदू संस्कृति की रक्षा करना था।
- राजधानी हम्पी आज भी अपने अद्भुत मंदिरों और स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध है।
प्रसिद्ध शासक:
1. कृष्णदेव राय (1509-1529 ई.):
- विजयनगर साम्राज्य का सबसे शक्तिशाली शासक।
- तेलुगु, संस्कृत और कन्नड़ साहित्य को संरक्षण मिला।
- विजयनगर के विट्ठल मंदिर और हज़ारा राम मंदिर का निर्माण इसी काल में हुआ।
विजयनगर की स्थापत्य कला और संस्कृति:
- विजयनगर शैली में ग्रेनाइट पत्थरों का सुंदर उपयोग।
- मंदिरों की नक्काशी, स्तंभ और गोपुरम (मुख्य द्वार) अत्यंत प्रसिद्ध हैं।
- हम्पी के बाजार, लोथल, पत्थर के रथ आदि मुख्य दर्शनीय स्थल हैं।
मुख स्थापत्य स्थल:
- विरुपाक्ष मंदिर
- विट्ठल मंदिर (रथ सहित)
- हज़ारा राम मंदिर
- अच्युतराय मंदिर

युद्ध और पतन:
- विजयनगर साम्राज्य ने बहमनी सल्तनत और अन्य मुस्लिम सल्तनतों से अनेक युद्ध लड़े।
- 1565 ई. में तालिकोटा का युद्ध निर्णायक सिद्ध हुआ, जिसमें साम्राज्य की हार हुई।
- इसके बाद धीरे-धीरे साम्राज्य का पतन शुरू हुआ।
आज का हम्पी (विजयनगर साम्राज्य का स्थल):
- हम्पी, कर्नाटक राज्य में स्थित है और UNESCO विश्व धरोहर स्थल है।
- पर्यटक यहाँ साल भर भ्रमण के लिए आते हैं।
- यह स्थल भारतीय सांस्कृतिक पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र बन चुका है।
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निष्कर्ष :
विजयनगर साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक ऐसा अध्याय है जिसने दक्षिण भारत को सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक रूप से समृद्ध बनाया। इसकी विरासत आज भी हम्पी के खंडहरों में जीवित है। यह साम्राज्य आज की पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा है, जो बताता है कि कैसे संस्कृति और शक्ति का संतुलन एक समृद्ध राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।