भाजपा की राज्यसभा में सीटों की संख्या अब 86 हो गई है, जबकि एनडीए की संख्या 101 है। इस नई स्थिति में, भाजपा को अपने प्रस्तावों को पारित करवाने के लिए अब अन्य राजनीतिक दलों से और तंत्रिका समझदारी से भी ज्यादा निर्भर करना होगा। बीजेपी के चार सदस्यों की स्थानांतरण के साथ ही राज्यसभा में उनकी ताकत में कमी आई है, जिससे संख्यात्मक बल में एक छोटा सा अंतर पैदा हुआ है। अगले कानूनों को पारित करने के लिए एनडीए के पास अभी भी बहुमत है, लेकिन इस विकल्प की स्थिति पर भी दबाव बढ़ सकता है।