पटना में गंगा ने खतरे के निशान को पार किया, और दीघा घाट पर पानी 38 सेंटीमीटर बढ़ गया है, जो इलाके में खलबली मचा रहा है!

taazatimeblog.com
7 Min Read

हाल के दिनों में नेपाल में हो रही लगातार बारिश ने उत्तर बिहार की नदियों को बेहिसाब बढ़ावा दे दिया है। नतीजतन, कई नदियाँ अपने खतरे के निशान को पार कर चुकी हैं, जिससे बाढ़ का खतरा गहरा गया है। पटना में भी स्थिति चिंताजनक होती जा रही है, जहाँ दीघा घाट पर जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। बागमती और कोसी जैसी प्रमुख नदियाँ भी उफान पर हैं, जिससे पूरी इलाके में बाढ़ की आशंका बढ़ गई है। मौसम विभाग और प्रशासन ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ के संभावित खतरे को ध्यान में रखते हुए, निवासियों को अतिरिक्त सावधानी बरतने और सुरक्षित रहने की सलाह दी गई है।

बिहार में बाढ़ का खतरा बढ़ा:

नरम पड़ने के एक दिन बाद गंगा नदी ने फिर से अपना उफान दिखाना शुरू कर दिया है। इस साल पहली बार गंगा ने पटना के गांधी घाट पर खतरे के निशान को पार कर लिया है, जो कि इलाके में एक गंभीर स्थिति की ओर इशारा कर रहा है।

गांधी घाट पर बुधवार सुबह गंगा का जलस्तर 48.35 मीटर था, लेकिन गुरुवार सुबह यह बढ़कर 48.70 मीटर तक पहुंच गया है, जो कि खतरे के निशान से 10 सेंटीमीटर ऊपर है। दीघा घाट पर भी स्थिति कुछ बेहतर नहीं है; यहाँ जलस्तर 49.54 मीटर से बढ़कर 49.92 मीटर हो गया है, जिससे पानी की मात्रा में 38 सेंटीमीटर का इजाफा हुआ है।

फतुहा और हाथीदह में भी गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है और ये क्षेत्र भी डेंजर लेवल के करीब पहुंच रहे हैं। इस बढ़ते जलस्तर के साथ, बाढ़ का खतरा और अधिक गहरा गया है।

प्रशासन और मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की है कि निवासियों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। लोग अपने घरों से बाहर निकलते समय विशेष ध्यान दें और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से दूर रहें। सरकार और स्थानीय एजेंसियाँ स्थिति की निगरानी कर रही हैं और प्रभावित लोगों की सहायता के लिए तैयार हैं।

इस संकट की घड़ी में, यह जरूरी है कि सभी लोग सहयोग और सतर्कता के साथ आगे बढ़ें ताकि इस प्राकृतिक आपदा से निपटा जा सके।

कोसी और बागमती की बढ़ती भयावहता:

नेपाल और बिहार में जारी भारी वर्षा ने एक बार फिर से कई नदियों का जलस्तर बढ़ा दिया है, जिससे क्षेत्रीय जनता के बीच चिंता की लहर दौड़ गई है। सीतामढ़ी और शिवहर में कोसी, झीम, और रातो नदियाँ अपनी उच्चतम स्तर की ओर बढ़ रही हैं, जबकि शिवहर में बागमती नदी खतरे के निशान से 73 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। इस स्थिति ने स्थानीय निवासियों को सतर्क कर दिया है, और बाढ़ की संभावनाओं को लेकर चिंताओं को जन्म दिया है।

कोसी और सीमांचल क्षेत्र की नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। खगड़िया में गंगा और बूढ़ी गंडक भी तेजी से बढ़ते जलस्तर के साथ खतरे के निशान की ओर बढ़ रही हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान, गंगा के जलस्तर में 43 सेंटीमीटर और बूढ़ी गंडक के जलस्तर में 53 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है।

कोसी के जलस्तर में भी 10 सेंटीमीटर की वृद्धि देखी गई है, जिससे यह खतरे के निशान से 37 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। इसी तरह, बागमती के जलस्तर में पिछले एक दिन के दौरान 15 सेंटीमीटर की वृद्धि हुई है।

इन बढ़ते जलस्तरों ने बाढ़ की गंभीरता को दर्शाया है, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है। स्थानीय प्रशासन ने लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने और आवश्यक सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी है। बाढ़ के संभावित खतरे से निपटने के लिए राहत कार्यों की योजना बनाई जा रही है, और प्रभावित क्षेत्रों में पर्याप्त सहायता पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

इस स्थिति में, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सभी लोग सावधान रहें और आवश्यक जानकारी और चेतावनी पर ध्यान दें। प्रशासन और स्थानीय एजेंसियाँ स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रही हैं और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठा रही हैं।

बिहार में बाढ़ का बढ़ता खतरा: बागमती और कोसी में बढ़ती चिंता

बिहार में बाढ़ की स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है। बागमती नदी वर्तमान में खतरे के निशान से 49 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है, जिससे इलाके में बाढ़ की आशंका और भी गहरा गई है। इसी बीच, सुपौल स्थित कोसी बराज पर शाम चार बजे कोसी नदी का डिस्चार्ज 2,14,220 क्यूसेक रिकॉर्ड किया गया है। इस भारी मात्रा के पानी को 27 फाटकों के माध्यम से डाउन स्ट्रीम में पास आउट किया जा रहा है। हालांकि, मुख्य अभियंता ने तटबंध के सभी बिंदुओं को सुरक्षित बताया है, बावजूद इसके स्थिति पर पूरी तरह से नजर रखी जा रही है।

मधुबनी और दरभंगा जिलों में भी कोसी और कमला नदियों के जलस्तर में वृद्धि देखी जा रही है। इन नदियों का बढ़ता जलस्तर लोगों की चिंताओं को बढ़ा रहा है और संभावित बाढ़ के खतरों को लेकर सतर्कता की आवश्यकता महसूस हो रही है।

वाल्मीकिनगर गंडक बराज से बुधवार की शाम को 1.42 लाख क्यूसेक पानी गंडक नदी में छोड़ा गया है, जिससे गंडक नदी में भी जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। इस बढ़ते जलस्तर के चलते पिपरा-पिपरासी तटबंध के विभिन्न कटान स्थलों पर नदी का दबाव बना हुआ है, जो बाढ़ के खतरे को और भी बढ़ा सकता है।

इन सभी घटनाओं ने प्रशासन और स्थानीय निवासियों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता की ओर संकेत किया है। राहत कार्यों की तैयारी और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।

स्थानीय अधिकारियों ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की है और किसी भी संभावित बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने की सलाह दी है। यह समय है कि सभी लोग सहयोग करें और सुरक्षा निर्देशों का पालन करें, ताकि इस प्राकृतिक आपदा से सुरक्षित रह सकें और जल्दी से पुनर्वास की ओर बढ़ सकें।

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

OUR SOCIAL MEDIA

Taazatimeblog.Com