परिचय
राजा अशोक (268‑232 ई.पू.), मौर्य वंश के तीसरे सम्राट, जिन्होंने भारत एकसंघित किया और अपने शासनकाल में बौद्ध धर्म और ‘धर्म नीति’ का विस्तार किया en.wikipedia.org+2worldhistory.org+2en.wikipedia.org+2mapacademy.iolibrary.fiveable.me।
Contents

1. प्रारंभिक जीवन और सिंहासनारोहण
- जन्म: लगभग 304 ई.पू.
- मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के पोते, कुमार ब्राह्मण थे।
- सिंधु का विस्तार व गँबेरी युद्ध में उनकी भूमिका ने उन्हें वीर सम्राट बनाया।
2. धर्म परिवर्तन
- कलिंग युद्ध (261 ई.पू.) में हिंसा और रक्तपात से परेशान होकर अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया en.wikipedia.org।
- उन्होंने धर्म नीति—अहिंसा, सहिष्णुता, सच्चाई, करुणा—पर जोर दिया ।
3. स्तम्भ और शिलालेख
- मुठ्ठीभर अशोक स्तम्भ और 30+ शिलालेख:
- स्तम्भ: साँढे 20 खम्भों में शिलालेख अंकित, जैसे सारनाथ, वड़नगर, लौरिया नारायणगढ़ पर स्तम्भ ।
- शिलालेखों में सामाजिक नीति, शासन प्रणाली, पशु-चिकित्सा और कल्याणकारी योजनाएं ◆
- उदाहरण: “हर प्राणी मेरा पुत्र है”, “हत्या निषेध” जैसे Major Rock Edict I, II en.wikipedia.org+2en.wikipedia.org+2en.wikipedia.org+2।
4. स्थापत्य और प्रचार
- पाटलिपुत्र: मौर्य राजधानी, 150,000–400,000 निवासियों का शहर en.wikipedia.org।
- बाराबर गुफाएँ: अजीविका साधुओं के लिए विशेष गुफाएँ, जिनमें अशोक की लिखावट मिली ।
5. बौद्ध धर्म और वैश्विक प्रभाव
- अशोक ने 84,000 स्तूप बनवाए और धार्मिक यात्राओं को बढ़ावा दिया।
- ग्रेको-बैक्ट्रियन एवं हल्लेनी सभ्यताओं तक बौद्ध धर्म का प्रसार किया ।
✅ प्रमुख योगदान (संक्षेप में)
- धर्म नीति – अहिंसा, मानवीयता, सहिष्णुता
- शिलालेख – ऐतिहासिक साक्ष्य, शासन प्रक्रिया
- बौद्ध धर्म का प्रोत्साहन – स्तूप, गुफा, यात्राएं
- सांस्कृतिक और स्थापत्य योगदान – पत्थर स्तम्भ, स्थापत्य धरोहर
निष्कर्ष
अशोक महान ने ना केवल एक शक्तिशाली सम्राट के रूप में शासन संभाला, बल्कि मानवतावादी दृष्टिकोण का सूत्रपात कर मौर्य साम्राज्य को सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से समृद्ध किया। उनके शिलालेख और स्तम्भ आज भी इतिहास प्रेमियों के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं।