परिचय
भारत की एक होनहार टेनिस खिलाड़ी Radhika Yadav की हाल ही में एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना में मृत्यु हो गई। गुरुग्राम में उनके पिता ने ही उन्हें गोली मारकर हत्या कर दी। यह खबर सामने आते ही पूरा देश स्तब्ध रह गया। यह घटना केवल पारिवारिक कलह नहीं थी, बल्कि आज के सोशल मीडिया और पीढ़ियों के बीच के टकराव की एक भयावह तस्वीर भी पेश करती है।

राधिका यादव कौन थीं?
Radhika Yadav, उम्र 25 वर्ष, हरियाणा की एक उभरती हुई राज्य स्तरीय टेनिस खिलाड़ी थीं।
साथ ही वे अपनी टेनिस अकादमी भी चला रही थीं, जहां युवाओं को प्रशिक्षित किया जाता था।
उन्होंने ITF डबल्स रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन किया था।
हरियाणा में महिला डबल्स में वे शीर्ष 5 में शामिल थीं।
हत्या कैसे और क्यों हुई?
10 जुलाई 2025 को गुरुग्राम के सुशांत लोक, सेक्टर 57 में Radhika Yadav के घर पर ये दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी।
उनके पिता दीपक यादव, जो एक रिटायर्ड कर्मचारी हैं, ने .32 बोर की लाइसेंसी रिवॉल्वर से पांच गोलियां चलाईं। इनमें से तीन राधिका को लगीं, जिससे मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
पुलिस जांच के अनुसार, यह विवाद Instagram reels, सोशल मीडिया पर सक्रियता और राधिका की स्वतंत्रता को लेकर था।
➡️ पिता को राधिका के सोशल मीडिया पोस्ट पर आपत्ति थी।
➡️ उन्हें लगता था कि इससे परिवार की “इज्ज़त” को ठेस पहुंच रही है।
➡️ कुछ रिपोर्ट्स इसे ऑनर किलिंग भी मान रही हैं।
पुलिस कार्रवाई और मामला दर्ज
घटना के तुरंत बाद पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया और हथियार जब्त किया गया। गुरुग्राम सेक्टर-56 पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। मामले की गहराई से जांच की जा रही है, जिसमें सोशल मीडिया की भूमिका, परिवार के सामाजिक दबाव और मानसिक स्वास्थ्य के पहलुओं को भी ध्यान में लिया जा रहा है।
यह घटना हमें क्या सिखाती है?
यह घटना सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि हमारे समाज में फैले उस संस्कृति के संकट की भी पहचान है, जहां बेटियों की स्वतंत्रता को अब भी संदेह की निगाह से देखा जाता है। यह मामला उठाता है कई जरूरी सवाल:
- क्या एक बेटी का अपनी मर्जी से जीवन जीना गलत है?
- सोशल मीडिया की सक्रियता कितनी सीमा तक स्वीकार्य है?
- पारिवारिक सम्मान और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के टकराव को कैसे सुलझाएं?
Radhika Yadav की हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। अब वक्त है कि हम न केवल बेटियों की सुरक्षा के लिए आवाज़ उठाएं, बल्कि परिवारों को मानसिक स्वास्थ्य, संवाद और सामाजिक बदलाव के प्रति जागरूक बनाएं।