🔹 परिचय
भारत और श्रीलंका के बीच समुद्र में स्थित एक रहस्यमयी पुल — Ram Setu, जिसे अंग्रेज़ी में Adam’s Bridge भी कहा जाता है, वर्षों से वैज्ञानिकों और धार्मिक आस्थावानों के लिए जिज्ञासा का विषय बना हुआ है। क्या यह सच में भगवान राम द्वारा बनाया गया था या यह एक प्राकृतिक चमत्कार है? आइए जानते हैं।

🌊Ram Setu क्या है?
रामसेतु 30 किलोमीटर लंबी एक चूना-पत्थर और बालू की चट्टानों की श्रृंखला है, जो भारत के तमिलनाडु स्थित रामेश्वरम और श्रीलंका के मन्नार द्वीप को जोड़ती है।
📖 धार्मिक मान्यता
रामायण के अनुसार, भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पहले वानर सेना की मदद से समुद्र पर एक पुल बनवाया था, ताकि वे लंका पहुँच सकें और सीता माता को रावण से मुक्त करा सकें। इसी पुल को ‘रामसेतु’ कहा गया है।
🧪 वैज्ञानिक दृष्टिकोण
- नासा के सेटेलाइट इमेज से इस संरचना की पुष्टि हुई है।
- कुछ भू-वैज्ञानिकों का मानना है कि यह पुल लगभग 7,000 साल पुराना हो सकता है।
- वहीं कुछ विशेषज्ञ इसे एक प्राकृतिक रेत और चूना पत्थर की श्रृंखला मानते हैं, जिसे वर्षों तक समुद्री धाराओं ने निर्मित किया।
⏳ ऐतिहासिक महत्त्व
- प्राचीन मानचित्रों और विदेशी यात्रियों के रिकॉर्ड में भी इस पुल का ज़िक्र मिलता है।
- मार्को पोलो और अन्य यात्रियों ने इसे ‘नैचुरल ब्रिज’ या ‘राम का पुल’ कहा।
⚖️ कानूनी और राजनीतिक विवाद
2007 में “सेतु समुद्रम परियोजना” के तहत सरकार इस पुल को तोड़कर शिपिंग चैनल बनाना चाहती थी। इस पर बड़ा विरोध हुआ क्योंकि यह हिन्दू आस्था से जुड़ा है।
🌟 दिलचस्प तथ्य
- यह क्षेत्र आज भी शिपिंग के लिए उपयोग नहीं किया जाता क्योंकि पानी बहुत उथला है।
- समुद्री जीवों की विविधता के लिए यह इलाका बहुत समृद्ध है।
- कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि यह मानव निर्मित संरचना भी हो सकती है क्योंकि इसके पत्थरों की उम्र बालू से अलग है।
🧾 निष्कर्ष
रामसेतु केवल एक भूगोलिक संरचना नहीं, बल्कि आस्था, विज्ञान और इतिहास का अद्भुत संगम है। चाहे आप इसे भगवान राम की विरासत मानें या एक प्राकृतिक चमत्कार — इसकी मौजूदगी मानवता के इतिहास को एक नई दृष्टि से देखने का मौका देती है।