🔹 प्रस्तावना
18 मई 1974 को भारत ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया – राजस्थान के पोखरण में अपने पहले परमाणु बम का सफल परीक्षण किया। इस मिशन को कोडनेम दिया गया था – “Operation Smiling Buddha“। यह केवल एक वैज्ञानिक प्रयोग नहीं था, बल्कि भारत की वैश्विक शक्ति और आत्मनिर्भरता की घोषणा थी।

🧠 नाम का महत्व – “Smiling Buddha”
यह नाम इसलिए रखा गया क्योंकि परीक्षण का दिन बुद्ध पूर्णिमा पर पड़ा था। भारत ने इस ऑपरेशन को ‘शांतिपूर्ण परमाणु परीक्षण’ बताया, जो दुनिया के लिए आश्चर्यजनक था। एक शांतिप्रिय देश के लिए यह कदम साहसी और निर्णायक माना गया।
🏗️ ऑपरेशन की तैयारी
- परीक्षण स्थल: पोखरण, राजस्थान में गहराई से खुदाई कर भूमिगत परीक्षण की तैयारी की गई।
- प्रमुख वैज्ञानिक: राजा रमन्ना, होमी सेठना, पी.के. अय्यंगार, और कई ISRO व DRDO वैज्ञानिकों ने योगदान दिया।
- गोपनीयता: इस पूरे ऑपरेशन को अत्यंत गुप्त रखा गया। CIA और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
💣 परीक्षण की सफलता
- तारीख: 18 मई 1974
- परिणाम: विस्फोट सफल रहा और रेडियोधर्मी असर को सीमित दायरे में ही नियंत्रित किया गया।
- शक्ति: बम की शक्ति लगभग 8-12 किलोटन TNT के बराबर थी।
🌐 अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- दुनिया भर में हलचल मच गई।
- अमेरिका और कनाडा ने परमाणु सहयोग सीमित किया।
- लेकिन भारत ने अपना रुख स्पष्ट रखा – यह परीक्षण केवल रक्षा आत्मनिर्भरता के लिए था, किसी पर आक्रमण करने के लिए नहीं।
🧭 ऐतिहासिक महत्व
- भारत अब परमाणु क्लब का सदस्य बन चुका था।
- यह परीक्षण चीन (1964) और पाकिस्तान (1998) के मुकाबले भारत की रणनीतिक स्थिति को मज़बूत करने वाला कदम बना।
- इसने भारत की विदेश नीति और रक्षा नीति में निर्णायक परिवर्तन लाया।
🛡️ शांति का संकल्प
भारत ने यह परीक्षण जरूर किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वह “No First Use” यानी पहले हमला न करने की नीति का पालन करेगा। भारत की यह नीति आज भी कायम है।
📌 निष्कर्ष
ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा भारत के वैज्ञानिक आत्मबल, रणनीतिक सोच और शांतिप्रिय दृष्टिकोण का अद्भुत संगम था। इसने दुनिया को यह बता दिया कि भारत ना केवल बुद्ध का देश है, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर दृढ़ निर्णय लेने वाला भी है।हैं कि देश हर स्तर पर सतर्क और सक्षम है।