जैन धर्म भारत की एक प्राचीन धार्मिक परंपरा है जो आत्म-शुद्धि, अहिंसा और तपस्या पर आधारित है। यह धर्म न केवल आध्यात्मिकता की ओर मार्गदर्शन करता है, बल्कि प्रकृति, जीव-जंतुओं और मनुष्यों के बीच संतुलन बनाए रखने की प्रेरणा भी देता है।

🔹 उत्पत्ति और विकास
- जैन धर्म की उत्पत्ति वैदिक काल से भी पहले मानी जाती है।
- इसके प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव माने जाते हैं, जिनका उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है।
- हालांकि जैन धर्म को एक संगठित धर्म के रूप में पहचान 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी (599–527 ई.पू.) के समय मिली।
महावीर स्वामी ने जीवन में कठोर तपस्या, ब्रह्मचर्य और सत्य को अपनाते हुए “कैवल्य” (मोक्ष) की प्राप्ति की और पाँच मुख्य व्रतों का प्रचार किया।
🧘♂️ पाँच महान व्रत
- अहिंसा – किसी भी प्राणी को हानि न पहुँचाना
- सत्य – सदैव सत्य बोलना
- अस्तेय – चोरी न करना
- ब्रह्मचर्य – इंद्रिय संयम रखना
- अपरिग्रह – भौतिक वस्तुओं से आसक्ति न रखना
🕍 प्रमुख संप्रदाय
जैन धर्म दो प्रमुख शाखाओं में विभाजित है:
- दिगंबर – साधु वस्त्र नहीं पहनते और कठोर तप का पालन करते हैं
- श्वेतांबर – सफेद वस्त्र पहनते हैं, और तपस्या में लचीलापन होता है
दोनों ही संप्रदाय महावीर को अंतिम तीर्थंकर मानते हैं और मोक्ष की सिद्धि में विश्वास रखते हैं।
🛕 जैन धर्म का प्रसार और प्रभाव
- मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने जीवन के अंतिम समय में जैन धर्म अपना लिया था और श्रवणबेलगोला में सन्यास लिया।
- कर्णाटक, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में जैन धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा।
- जैन आचार्यों ने संस्कृत, प्राकृत और कन्नड़ भाषाओं में अनेक धार्मिक ग्रंथ लिखे।
🏛️ जैन वास्तुकला और तीर्थ स्थल
- श्रवणबेलगोला (कर्नाटक) – गोमतेश्वर की विशाल प्रतिमा
- पावापुरी (बिहार) – महावीर स्वामी का निर्वाण स्थल
- रणकपुर और माउंट आबू (राजस्थान) – भव्य जैन मंदिर
- शिखरजी (झारखंड) – 20 तीर्थंकरों के मोक्ष प्राप्ति का स्थल
📚 जैन धर्म के ग्रंथ
- आगम साहित्य – महावीर के उपदेशों पर आधारित
- तत्त्वार्थ सूत्र – आचार्य उमास्वाति द्वारा रचित, जैन दर्शन का मुख्य ग्रंथ
- इसके अलावा “कल्पसूत्र”, “समवायांग सूत्र”, “नंदी सूत्र” आदि प्रमुख ग्रंथ हैं।
🌿 जैन धर्म और पर्यावरण
- जैन धर्म का मूल सिद्धांत अहिंसा केवल शारीरिक हिंसा से नहीं बल्कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन से भी बचने की प्रेरणा देता है।
- यह धर्म शाकाहार, जल संरक्षण, और न्यूनतम उपभोग पर ज़ोर देता है।
📝 निष्कर्ष
जैन धर्म न केवल एक धार्मिक आस्था है, बल्कि यह एक जीवनशैली है जो व्यक्ति को आत्मशुद्धि, अहिंसा और संयम के रास्ते पर चलने की प्रेरणा देता है।
आज भी जैन धर्म के अनुयायी दुनिया भर में अपने नैतिक मूल्यों, व्यापारिक ईमानदारी और शाकाहारी जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं।