🛕 प्रस्तावना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में तमिलनाडु के प्राचीन मंदिर गंगैकोंड चोलपुरम (Gangaikonda Cholapuram) का दौरा किया। यह मंदिर चोल साम्राज्य की शक्ति, सांस्कृतिक समृद्धि और वास्तुकला की उत्कृष्टता का प्रतीक है। उनका यह दौरा भारत की विरासत और सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने का संदेश भी है।
Contents

🏛️ Gangaikonda temple का ऐतिहासिक महत्व
- निर्माण काल: 11वीं शताब्दी (1025 ई.)
- निर्माता: चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम, जो महान राजा राजा चोल के पुत्र थे।
- उद्देश्य: गंगा विजय के बाद, राजेंद्र चोल ने अपनी राजधानी गंगैकोंड चोलपुरम में स्थानांतरित की और यह भव्य मंदिर बनवाया।
🧱 वास्तुकला और विशेषताएँ
- यह मंदिर द्रविड़ स्थापत्य कला का एक अनमोल उदाहरण है।
- मंदिर का विमान (शिखर) लगभग 55 मीटर ऊँचा है, जो बृहदेश्वर मंदिर की तरह विशाल और भव्य है।
- मंदिर के पत्थरों पर बेहद सूक्ष्म और सुंदर नक्काशी की गई है।
- इसमें शिवलिंग स्थापित है, जो दक्षिण भारत के सबसे विशाल शिवलिंगों में से एक है।
🌊 नाम का अर्थ: गंगैकोंड चोलपुरम
- “गंगैकोंड” का अर्थ है “जिसने गंगा को जीता”।
- जब राजेंद्र चोल ने उत्तर भारत के गंगा क्षेत्र तक अपनी विजय यात्रा की और गंगा जल वापस लाया, तो उन्होंने इस जल को राजधानी में लाकर स्थापना की और इसे “गंगैकोंड” नाम दिया।
🕉️ धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
- यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और दक्षिण भारत के प्रमुख शिव मंदिरों में गिना जाता है।
- मंदिर आज भी धार्मिक आयोजन, महाशिवरात्रि, और चोल वंश की स्मृति में उत्सवों का केंद्र बना हुआ है।
PM मोदी की यात्रा का महत्व
- यह दौरा भारत की सांस्कृतिक जड़ों को पहचानने और प्रचारित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- प्रधानमंत्री ने इस मंदिर की ऐतिहासिक विरासत की सराहना की और इसके संरक्षण का संदेश भी दिया।
- इस दौरे ने देश भर के लोगों को अपनी सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व करने का अवसर दिया।
📸 मुख्य आकर्षण
आकर्षण | विवरण |
---|---|
शिवलिंग | दक्षिण भारत का विशाल शिवलिंग |
नक्काशी | चोल युग की उत्कृष्ट कलाकारी |
परिसर | शांत वातावरण, विशाल पत्थर की दीवारें और स्तंभ |
विश्व धरोहर | UNESCO की टेंटेटिव लिस्ट में शामिल |
🔚 निष्कर्ष
Gangaikonda चोलपुरम मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारत के साम्राज्यिक गौरव, स्थापत्य विरासत और सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी का दौरा हमें यह याद दिलाता है कि आधुनिक भारत को अपनी प्राचीन जड़ों से जुड़े रहना चाहिए। यह मंदिर भारत की उन धरोहरों में से है, जिन्हें हमें बचाना और विश्व पटल पर प्रस्तुत करना चाहिए।