Armenia और Azerbaijan ने दशकों पुराने Nagorno-Karabakh संघर्ष को खत्म कर ऐतिहासिक शांति समझौता किया, Zangezur Corridor सहित सभी अपडेट जानें।
संघर्ष का ऐतिहासिक परिदृश्य
Nagorno-Karabakh संघर्ष लगभग तीन दशकों से Armenia और Azerbaijan के बीच एक गहरी अशांति का कारण बना हुआ था। यह क्षेत्र, जो आधिकारिक रूप से Azerbaijan का हिस्सा था, में एथनिक Armenians का वर्चस्व था।
- 1990 के दशक में जब सोवियत संघ टूट रहा था, तब यह क्षेत्र असमंतुलित हो गया और Armenia वहां गतिविधियों में शामिल होने लगा, जिससे क्रमशः झड़पें तेज हुईं।
- 2020 की दूसरी बड़ी लड़ाई के दौरान, Azerbaijan ने व्यापक क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल किया और मध्यस्थता करते हुए रूस ने बीचबचाव किया।
- 2023 में, Azerbaijan के सैन्य अभियान के कारण लगभग सभी Armenians Nagorno-Karabakh से पलायन कर गए, जिससे मानवीय संकट पैदा हुआ।

अप्रैल 2025: शांति समझौते की रूपरेखा
मार्च 2025 में दोनों पक्षों ने शर्तें तय कर लीं – इस समझौते को “ऐतिहासिक” बताया गया और यह संघर्ष को शांति की ओर ले जाने का पहला ठोस कदम था।
व्हाइट हाउस में औपचारिक समझौता (अगस्त 2025)
8 अगस्त 2025 को व्हाइट हाउस में एक भव्य शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए—जिसकी मेजबानी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति ने की। इस समझौते से 35 साल से लंबित संघर्ष को समाप्त करने का प्रयास हुआ।
- दोनों देश संधियों पर सहमत हुए कि वे हमेशा के लिए लड़ाई बंद करेंगे, राजनयिक संबंध खोलेंगे और एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।
- Zangezur Corridor नामक एक महत्वपूर्ण पारगमन मार्ग बनाने का निर्णय लिया गया, जो Azerbaijan को उसके Nakhchivan Enclave से सीधे जोड़ता है। इस मार्ग को अमेरिकी नियंत्रण में रहकर विकसित किया जाएगा और इसे TRIPP (Trump Route for International Peace and Prosperity) नाम दिया गया।
- दोनों देशों ने OSCE Minsk Group की संरचना को खत्म करने का फैसला भी किया।
क्षेत्रीय शक्तियों की प्रतिक्रियाएँ
- रूस ने इस पहल का स्वागत किया लेकिन चेतावनी दी कि क्षेत्र में स्थायित्व केवल स्थानीय साझेदारों (Russia, Iran, Turkey) की भागीदारी से संभव है।
- Iran ने विशेष रूप से Zangezur Corridor को लेकर असंतोष व्यक्त किया, क्योंकि यह उसकी सीमा के काफी पास से गुजरता है।
सारांश
बिंदु | विवरण |
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संघर्ष का इतिहास | Nagorno-Karabakh पर लंबा संघर्ष (1980 के बाद से) |
मध्यस्थ प्रयास | 2020 में Russia के नेतृत्व में लड़ाई में धीमापन आया |
मार्च 2025 | शर्तों पर सहमति बनी |
अगस्त 2025 | व्हाइट हाउस में औपचारिक शांति समझौता |
प्रमुख पहल | TRIPP Corridor, Minsk Group से वापसी |
क्षेत्रीय प्रभाव | Russia और Iran की भूमिका में बदलाव संभव |
निष्कर्ष
यह शांति समझौता केवल संघर्ष का अंत नहीं, बल्कि दक्षिण काकेशस क्षेत्र में भू-राजनीतिक पुनर्संरचना का संकेत है। अमेरिका का बढ़ता प्रभाव, Russia और Iran की भूमिका में बदलाव, और सीमा पार सहयोग—ये सभी इस समझौते के व्यापक प्रभाव को दर्शाते हैं। इसके बावजूद, शरणार्थियों, मानवीय मसलों और सीमा परिसीमन जैसे जटिल विषय अब भी भविष्य की चुनौतियाँ बने हुए हैं।