🔶 प्रस्तावना
भारतीय उपमहाद्वीप का इतिहास अनेक शक्तिशाली साम्राज्यों से भरा पड़ा है, लेकिन चोल साम्राज्य (Chola Dynasty) ने जो सांस्कृतिक, राजनीतिक और समुद्री विरासत छोड़ी, वह अतुलनीय है। यह साम्राज्य न केवल दक्षिण भारत, बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया तक अपना प्रभाव छोड़ गया।
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🧭 Chola Dynasty की उत्पत्ति और आरंभिक इतिहास
- चोलों का सबसे पहला उल्लेख अशोक के शिलालेखों में मिलता है (3rd Century BCE)।
- प्रारंभिक चोल छोटे राज्य थे, जो कावेरी नदी के किनारे स्थित थे।
- धीरे-धीरे इन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार तंजावुर, त्रिची, और अन्य तमिल क्षेत्रों तक किया।
👑 चोल साम्राज्य के प्रमुख शासक
1. राजराजा चोल I (985–1014 ई.)
- चोल साम्राज्य के स्वर्णयुग की शुरुआत इन्होंने की।
- बृहदेश्वर मंदिर (तंजावुर) का निर्माण कराया।
- श्रीलंका के उत्तर भाग और मालदीव पर विजय प्राप्त की।
2. राजेन्द्र चोल I (1014–1044 ई.)
- उन्होंने चोल साम्राज्य को बंगाल, ओडिशा, आंध्र और दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैला दिया।
- गंगा नदी से जल लाकर गंगैकोंड चोलपुरम की स्थापना की।
- चोल नौसेना की शक्ति के कारण जावा, सुमात्रा और मलाया जैसे देशों पर प्रभाव डाला।
🏛️ प्रशासनिक व्यवस्था
- चोल प्रशासन बेहद व्यवस्थित और कुशल था।
- स्थानीय स्वशासन (village self-rule) की शुरुआत चोलों ने की।
- उर, सभा, और नट्टार नामक पंचायतें गाँवों का संचालन करती थीं।
- राजस्व प्रणाली मजबूत थी और कृषि पर विशेष ध्यान दिया जाता था।
🎨 कला, वास्तुकला और संस्कृति
- चोलों ने द्रविड़ वास्तुकला को चरम पर पहुँचाया।
- बृहदेश्वर मंदिर, गंगैकोंड चोलपुरम, एरावतेश्वर मंदिर इनके स्थापत्य चमत्कार हैं।
- कांस्य मूर्तिकला में चोलों की पारंगतता विश्वप्रसिद्ध है, जैसे – नटराज की मूर्ति।
- संगीत, नृत्य और तमिल साहित्य को राजकीय संरक्षण प्राप्त था।
⚔️ सैन्य शक्ति और नौसेना
- चोलों की नौसेना भारत की सबसे प्राचीन शक्तिशाली समुद्री सेना मानी जाती है।
- उन्होंने समुद्री व्यापार के साथ-साथ युद्ध और विजय अभियान भी सफलतापूर्वक चलाए।
- दक्षिण-पूर्व एशिया में भारत की सांस्कृतिक जड़ों के विस्तार में चोलों की बड़ी भूमिका रही।
🌍 अंतरराष्ट्रीय प्रभाव
- चोलों ने केवल भारत ही नहीं, बल्कि इंडोनेशिया, थाईलैंड, कंबोडिया, वियतनाम तक भारतीय संस्कृति फैलाने में योगदान दिया।
- हिंदू धर्म, भारतीय कला, और तमिल लिपि को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
🧭 पतन और अंत
- 13वीं शताब्दी के बाद चोल साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर हुआ।
- पांड्य वंश, होयसला और दिल्ली सल्तनत के आक्रमणों के चलते चोल शक्ति का अंत हो गया।
- लेकिन उनकी सांस्कृतिक विरासत आज भी जीवंत है।
🔚 निष्कर्ष
Chola Dynasty सिर्फ एक शक्ति नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, प्रशासनिक कौशल और स्थापत्य का गौरवशाली अध्याय था। उनकी विरासत आज भी दक्षिण भारत की कला, मंदिरों और परंपराओं में जीवित है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चोल मंदिरों की यात्रा इस गौरव को सम्मान देने का प्रयास है।