🔹 परिचय
“International Society for Krishna Consciousness” जिसे हम आमतौर पर ISKCON के नाम से जानते हैं, आज दुनिया भर में आध्यात्मिक शांति, भक्ति और सनातन धर्म के प्रचार का बड़ा केंद्र बन चुका है। History of ISKCON न केवल रोचक है, बल्कि यह हमें दिखाता है कि किस तरह एक व्यक्ति की श्रद्धा और संकल्प पूरी दुनिया में आध्यात्मिक जागरूकता फैला सकता है।

🌱 ISKCON की स्थापना कैसे हुई?
सन 1966 में, A. C. Bhaktivedanta Swami Prabhupada ने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में ISKCON की स्थापना की थी। उनका उद्देश्य था भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति को वेदों और भगवद गीता के अनुसार विश्वभर में फैलाना। उन्होंने बिना किसी आर्थिक सहायता के सिर्फ विश्वास और भक्ति के बल पर इस मिशन को शुरू किया।
🌍 वैश्विक विस्तार
Transitioning from a small temple in New York to a global spiritual movement, ISKCON अब 100 से अधिक देशों में फैला हुआ है।
आज, इसमें हजारों मंदिर, गोशालाएं, स्कूल, और फूड डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर शामिल हैं।
🙏 ISKCON के मुख्य उद्देश्य
- श्रीकृष्ण की भक्ति को जन-जन तक पहुँचाना
- वैदिक शास्त्रों का प्रचार करना
- नैतिक मूल्यों पर आधारित समाज का निर्माण
- Food for Life जैसे कार्यक्रमों से भूख और दुख को कम करना
🛕 प्रमुख मंदिर और केंद्र
- ISKCON Vrindavan (भारत)
- ISKCON Mayapur – मुख्यालय
- ISKCON London
- ISKCON Los Angeles
- और भी सैकड़ों मंदिर पूरी दुनिया में
🎵 हरे कृष्ण महामंत्र और भक्ति योग
ISKCON का मूल स्तंभ है “हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे…”
यह मंत्र न केवल साधना का माध्यम है, बल्कि शांति और ईश्वरीय प्रेम का अनुभव भी कराता है।
📈 आज की स्थिति और प्रभाव
आज ISKCON न केवल एक धार्मिक संस्था है, बल्कि यह एक social reform movement बन चुका है। लाखों लोग इससे जुड़कर आध्यात्मिक जीवन शैली को अपना रहे हैं। ISKCON ने दिखाया कि कैसे सनातन धर्म के आदर्श आज के युग में भी प्रासंगिक हैं।
✅ निष्कर्ष
ISKCON का इतिहास एक मिशन की कहानी है—एक ऐसी यात्रा जिसने न केवल लाखों लोगों को श्रीकृष्ण की भक्ति से जोड़ा, बल्कि उन्हें एक शांतिपूर्ण, नैतिक और आध्यात्मिक जीवन जीने की राह भी दिखाई।
अगर आप भी जीवन में आध्यात्मिकता और आत्म-शांति की तलाश में हैं, तो ISKCON से जुड़ना एक सकारात्मक कदम हो सकता है।