📖 परिचय
Mathura School of Art भारत की सबसे प्राचीन और स्वदेशी मूर्तिकला परंपराओं में से एक है, जिसकी उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में हुई थी। यह शैली 1st शताब्दी ई.पू. से 3rd शताब्दी ई. के बीच विशेष रूप से फली-फूली और बाद में पूरे भारत में इसका प्रभाव दिखाई देने लगा।
Contents

🧱 1. स्वदेशी परंपरा की प्रतीक
- मथुरा कला शैली पूर्णतः भारतीय मूल की थी।
- इसमें विदेशी (यूनानी-रोमन) प्रभाव नहीं थे, जो इसे गांधार कला से अलग बनाता है।
- यह भारतीय धार्मिक भावनाओं की आत्मा से जुड़ी थी।
🧘♂️ 2. मूर्तिकला में नवाचार
- Mathura School of Art ने बुद्ध, जैन तीर्थंकरों और हिन्दू देवताओं की मानव-आकृति में मूर्तियाँ बनानी शुरू की।
- यह शैली पहली थी जिसने बुद्ध की मूर्तियों का मानवीय रूप में निर्माण किया, जो पहले प्रतीकों (जैसे पदचिन्ह या बोधिवृक्ष) द्वारा दर्शाए जाते थे।
🕉️ 3. धार्मिक समन्वय
- इस कला शैली में हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के विषयों को समान महत्व मिला।
- इससे यह स्पष्ट होता है कि मथुरा उस समय धार्मिक सहिष्णुता और समन्वय का केंद्र था।
🗿 4. विशिष्ट कलात्मक विशेषताएं
विशेषता | विवरण |
---|---|
आकृति | गाढ़े शरीर, गोल चेहरे, मुस्कान और सजीव आँखें |
सामग्री | स्थानीय लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग |
भाव | मूर्तियाँ जीवंत, आत्मिक और गतिशील प्रतीत होती हैं |
अलंकरण | श्रृंगारिकता, मुकुट, गहनों का सुंदर चित्रण |
👑 5. शासन और संरक्षण
- मथुरा कला शैली को कुषाण शासकों, विशेषकर कनिष्क, ने संरक्षण प्रदान किया।
- इन शासकों ने धार्मिक मूर्तिकला को बढ़ावा देकर बौद्ध धर्म के प्रचार में भी सहयोग दिया।
🧭 6. भारत के अन्य कला शैलियों पर प्रभाव
- मथुरा कला शैली ने आगे चलकर गुप्त कालीन मूर्तिकला की नींव रखी।
- इसकी शैली और परंपराएं सारनाथ, अमरावती, और नालंदा जैसी जगहों तक पहुँचीं।
🪔 7. सांस्कृतिक और ऐतिहासिक योगदान
- मथुरा कला शैली ने भारत को पहचान देने वाले देव-प्रतिमा के मानक बनाए।
- इसने भारत की धार्मिक दृश्य भाषा (iconography) की शुरुआत की।
- आज भी मथुरा में पाए जाने वाली प्राचीन मूर्तियाँ भारतीय कला विरासत का गौरव हैं।
🔚 निष्कर्ष
मथुरा कला शैली सिर्फ एक कला नहीं, बल्कि एक धार्मिक और सांस्कृतिक आंदोलन थी। इसने भारतीय मूर्तिकला को ऐसा रूप दिया जो आज भी मंदिरों, संग्रहालयों और विश्व कला इतिहास में अमिट छाप छोड़ता है। यह शैली भारत की आत्मा की कला कही जा सकती है।