📅 युद्ध की शुरुआत
Russia-Ukraine War की शुरुआत 24 फरवरी 2022 को हुई, जब रूस ने यूक्रेन पर सैन्य हमला किया। यह हमला केवल एक सीमित सैन्य अभियान न होकर एक पूर्ण युद्ध में बदल गया, जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया।
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🧭 युद्ध के प्रमुख कारण
- नाटो (NATO) विस्तार:
रूस लंबे समय से NATO के पूर्व की ओर विस्तार का विरोध करता रहा है। उसे डर था कि यूक्रेन NATO में शामिल होकर उसकी सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है। - डोनबास क्षेत्र का विवाद:
यूक्रेन के पूर्वी हिस्से – डोनेट्स्क और लुहान्स्क – में रूस समर्थक विद्रोहियों की सक्रियता रही है। रूस ने इन क्षेत्रों को “स्वतंत्र गणराज्य” के रूप में मान्यता दी। - क्राइमिया पर कब्जा (2014):
रूस ने 2014 में यूक्रेन से क्राइमिया को छीन लिया था। इसके बाद ही यूक्रेन और रूस के रिश्तों में तनाव बढ़ता गया।
🧨 युद्ध की प्रमुख घटनाएं (2022–2025 तक)
- मार्च 2022: कीव की ओर रूसी सेना का तेजी से बढ़ना, लेकिन यूक्रेन की कड़ी प्रतिरोध के कारण वापसी।
- अक्टूबर 2022: रूस द्वारा क्राइमिया ब्रिज पर हमले का बदला – मिसाइल हमले तेज़ हुए।
- 2023: यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से हथियार प्राप्त कर रूसी कब्जे वाले क्षेत्रों पर जवाबी कार्रवाई शुरू की।
- 2024: युद्ध लंबे समय तक खिंच गया, शांति वार्ताएं कई बार विफल रहीं।
- 2025: संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में बातचीत की नई पहलें शुरू।
🌍 वैश्विक प्रभाव
- तेल और गैस की कीमतें बढ़ीं:
यूरोप रूस की गैस पर निर्भर था। युद्ध के कारण ऊर्जा संकट पैदा हुआ। - अनाज संकट:
यूक्रेन दुनिया का एक प्रमुख गेहूं निर्यातक है। युद्ध के कारण खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ा। - सैन्य खर्च बढ़ा:
NATO और यूरोपीय देश अपनी रक्षा बजट में भारी वृद्धि कर रहे हैं। - भारत की स्थिति:
भारत ने तटस्थ रुख अपनाया, पर वैश्विक मंचों पर कूटनीतिक संतुलन बनाए रखा। रूस से ऊर्जा खरीद जारी रही।
🤖 तकनीक और साइबर युद्ध
- साइबर हमले:
दोनों देशों के बीच डिजिटल मोर्चे पर भी जंग छिड़ी रही। सरकारी वेबसाइटों पर हैकिंग, फेक न्यूज़ और डाटा चोरी आम हो गई। - ड्रोन वॉरफेयर:
युद्ध में ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ।
🙏 मानवीय संकट
- 1 करोड़ से अधिक लोग बेघर हुए
- लाखों की मौत व घायल
- यूरोप में शरणार्थी संकट बढ़ा
🔚 निष्कर्ष (Conclusion)
Russia-Ukraine War न सिर्फ एक क्षेत्रीय संघर्ष है, बल्कि यह 21वीं सदी की सबसे बड़ी भू-राजनीतिक घटनाओं में से एक बन चुका है। यह युद्ध दिखाता है कि तकनीक, कूटनीति और वैश्विक सहयोग कितना जरूरी है। शांति की राह लंबी है, लेकिन संवाद ही इसका सबसे प्रभावी उपाय हो सकता है।