महर्रम का इतिहास और महत्व
महम्मर (Muharram) इस्लामी चंद्र कैलेंडर का पहला पवित्र महीना है एवं चार ‘हराम’ महीनों में से एक है जब युद्ध वर्जित है। इसका नाम अरबी शब्द “हराम” (forbidden) से लिया गया है youtube.comt।
Contents
- 1 मुहर्रम – हिजरी नया साल, पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) की मक्का से मदीना की हिजरत का स्मरण ।
- 10 मुहर्रम (आशुरा) – शिया मुसलमानों के लिए अमीर हुसैन (रज़ि.) और उनके साथियों की शहादत (680 CE कर्बला युद्ध) का दिन youtube.com+3en.wikipedia.org+3youtube.com+3। सुन्नी मुसलमान इस दिन पैगंबर मूसा अ.स. द्वारा लाल सागर के मार्ग और अन्य ऐतिहासिक घटनाओं के सम्मान में रोज़ा रखते हैं ।

कर्बला की घटना – जान लेने वाली सत्यता
- 2 मुहर्रम: हुसैन (रज़ि.) कर्बला पहुँचे, उमैय्यद सेना ने उन्हें पैदलबल बाधित किया youtube.com+2youtube.com+2bhaskar.com+2।
- 7–9 मुहर्रम: पानी और संसाधन काटे गए, छल बनी, हुसैन ने वो रात इबादत व विचार में बिताई
- 10 मुहर्रम/आशुरा: हुसैन व उनके 72 साथी शहीद हुए—नेकी के लिए न्याय का संदेश
आशुरा की शिया और सुन्नी समझ
समुदाय | महत्व |
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शिया | शोकवीरा: जलूस, मातम, तजिया, खुद को याद करके नाज (शोकगीत) । |
सुन्नी | ईद्रोज़: मूसा अ.स. की आज़ादी की याद में रोज़ा, दान, इबादत । |
मुहर्रम के अन्य ऐतिहासिक व सांस्कृतिक पहलु
- बिबी-का-आलम (हैदराबाद): १५वीं सदी से होने वाली शिया परंपरा, हाथी चलित जुलूस, दान-पानी सेवा ।
- अरबच्चिन तीर्थयात्रा (Arba’in): कर्बला के इमाम हुसैन की कब्र का ४० दिन बाद सबसे बड़ा विश्वव्यापी शिया जुलूस (२०+ मिलियन)
निष्कर्ष
मुहर्रम केवल एक माह नहीं, बल्कि इंसानियत, न्याय एवं आस्था का प्रतीक है। कर्बला की घटना आज भी तबाही, न्याय व त्याग की गूँज ज़ेहन में उठाती है। आशुरा का दिन हमें oppression के खिलाफ खड़े होने और अच्छाई का समर्थन करने की सीख देता है।