
मुख्य बिंदु 📌
- 2003 के बाद पंजीकृत मतदाताओं पर नई बाधाएँ
- EC सूचना में कहा गया कि 1 जनवरी 2003 से पहले जो नाम सूची में थे, उन पर नागरिकता की प्रेरणा बनी रहेगी। लेकिन इसके बाद पंजीकरण करने वालों को फिर से प्रमाणित होना पड़ेगा ।
- कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन
- छँटाई के लिए EC को नोटिस जारी करनी चाहिए और सुनवाई का अवसर देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ mediafx.app+5ytrishi.in+5amarujala.com+5mediafx.app+3livemint.com+3hindustantimes.com+3।
- प्रमाण-पत्र की आवश्यकता और आपातकालीन समयसीमा
- आवेदनकर्ताओं को स्वयं और माता-पिता का जन्म प्रमाण-पत्र देना होगा, जो EC के अधिकार क्षेत्र के बाहर है ।
- EC ने इसे मात्र एक महीने में पूरा करने का निर्देश दिया | यह समय सीमा अत्यंत छोटी और व्यावहारिक रूप से कठिन है livemint.com।
- माइग्रेशन और मॉनसून की समस्या
- बिहार के लगभग 30–40% लोग विभिन्न राज्यों में काम करते हैं; मॉनसून के दौरान यह कार्य कठिन हो जाएगा timesofindia.indiatimes.com+3livemint.com+3hindustantimes.com+3।
- राजनीतिक और दलगत प्रतिक्रियाएँ
- RJD, कांग्रेस, CPI‑ML समेत ‘इंडिया ब्लॉक’ ने इस प्रक्रिया की तीव्र आलोचना की है ntimesofindia.indiatimes.com+2timesofindia.indiatimes.com+2timesofindia.indiatimes.com+2।
ADR की चेतावनी
जगदीप छुंकार ने कहा:
“2003 के बाद जो नाम जोड़े गए, उन्हें बिना प्रक्रिया के हटा दिया गया है … यह अवैध और असंभव है” hindustantimes.com।
ADR ने इस SIR प्रक्रिया को SC में चुनौती दी है और 10 जुलाई को सुनवाई प्रस्तावित है hindustantimes.com+8livemint.com+8timesofindia.indiatimes.com+8।
क्यों हो सकती है मताधिकार की हानि?
- नए नियमों के कारण करोड़ों वोटर डॉक्यूमेंट न होने या समय सीमा न पालन करने पर सूची से हट सकते हैं।
- इससे गरीब, मजदूर, दिव्यांग और अल्पसंख्यक वर्ग सबसे अधिक संवेदनशील हैं ।
- पहले मतदान कर चुके कई लोग ही फिर से पंजीकरण के चक्र में फंस सकते हैं।
समाधान और सुझाव
- EC को संशोधन प्रक्रिया को transparant और पारंपरिक कानून के अनुसार करना चाहिए।
- न्यूनतम दस्तावेज (जैसे EPIC, आधार, राशन कार्ड) ही पर्याप्त होना चाहिए।
- विशेष रूप से प्रवासी और मॉनसून-प्रभावित क्षेत्रों को ध्यान में रख कर समय विस्तार और field सुविधा होनी चाहिए।
- All-party meeting बुलाकर प्रक्रिया पर अवश्य समन्वय हो।
निष्कर्ष
EC की बहुत ज़रुरी है कि वोटर सूची सुधार को लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत, संवैधानिक और मानव-केंद्रित दृष्टिकोण से करे। हालांकि SIR को लोकतंत्र में सुधार के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन इसे गैर-भेदभावपूर्ण, कानूनी और लोगों तक पहुँच सुनिश्चित करने वाला होना चाहिए।